Amir Ali: लखनऊ के आमिर अली की कहानी संघर्ष और सपनों को सच करने की अद्भुत मिसाल है।

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Amir Ali सिर्फ 10 साल के थे, जब वह अपने हीरो, भारत के पूर्व हॉकी कप्तान और दो बार के ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट Manpreet Singh को खेलते देखने के लिए लगभग 12 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्टेडियम जाया करते थे।


Amir Ali Story is a wonderful example of struggle and making dreams come true.

आज, वही Amir Hockey India League (HIL) में Manpreet के साथ एक ही टीम में खेलते नजर आएंगे। Hockey India League के ऑक्शन में विशाखापत्तनम की फ्रेंचाइजी ने 20 वर्षीय इस डिफेंडर पर 34 लाख रुपये की बोली लगाई, जिससे उनका चयन हुआ।


यह खबर सुनकर उनके पिता तसव्वुर अली को यकीन ही नहीं हुआ। तसव्वुर अली लखनऊ के हजरतगंज में उत्तर प्रदेश जल निगम के ऑफिस के बाहर फुटपाथ पर गाड़ियां ठीक करते हैं। Amir, पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं और कम उम्र से ही अपने मैकेनिक पिता का हाथ बंटाते थे।

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12 साल की उम्र में, जब उनके दोस्त खेल-कूद में व्यस्त थे, Amir Ali अपने पिता के साथ स्कूटी ठीक करते थे। एक दिन आमिर अपने दोस्तों के साथ केडी बाबू स्टेडियम खेलने गए, जहां कोच राशिद खान ने उनकी प्रतिभा पहचानी और उन्हें ट्रेनिंग देने लगे।


इसके बाद Amir की दिनचर्या बदल गई। सुबह स्कूल, दिन में पिता के साथ काम और शाम को हॉकी प्रैक्टिस। उनके परिवार ने उधार लेकर उनकी हॉकी किट और ट्रेनिंग का खर्चा उठाया। 2014 में, Amir Ali का चयन मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज, सैफई के लिए हुआ। इसके बाद उनके खेल में लगातार सुधार हुआ और वह Junior India Hockey Team के कप्तान बन गए।


Amir Ali के पिता कहते हैं,

"आमिर ने हमें गर्व का मौका दिया है, लेकिन मुझे पता है कि यह सिर्फ शुरुआत है।" Amir Ali भी आश्वस्त हैं कि उनकी मेहनत से न केवल उनके परिवार की आर्थिक मुश्किलें आसान होंगी, बल्कि उनके खेल का सफर भी ऊंचाइयों तक पहुंचेगा। उनकी यह कहानी साबित करती है कि मेहनत और लगन से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है।

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