Kashish Lakra Story in Hindi. कशिश लाकड़ा, जो भारत की सबसे कम उम्र की पैरालंपिक एथलीट हैं।

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क्या कोई सोच सकता था कि एक साधारण परिवार की बेटी, जिसने अपने सपनों को साकार करने की ठानी, वह पैरालंपिक जैसे वैश्विक मंच पर भारत का नाम रोशन करेगी? यह प्रेरणादायक कहानी है Paralympics Athletic Kashish Lakra की, जिन्होंने अपने अदम्य साहस, दृढ़ निश्चय, और अथक मेहनत से यह साबित कर दिया कि असली जीत कभी हालात की मोहताज नहीं होती।

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Kashish lakra, जो भारत की सबसे कम उम्र की पैरालंपिक एथलीट हैं, कशिश लाकड़ा ने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में महिला क्लब थ्रो F51 श्रेणी में अपनी जगह बनाई। क्लब थ्रो एक विशेष एथलेटिक इवेंट है, जिसमें लकड़ी के क्लब को अधिकतम दूरी तक फेंकने का लक्ष्य होता है। इस श्रेणी में उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है।


दिल्ली में जन्मी कशिश को बचपन से ही खेलों में गहरी रुचि थी। वह बैडमिंटन, शॉट पुट, कुश्ती, स्पीड बॉल और स्केटिंग जैसे खेलों में हिस्सा लेती थीं और कई पदक जीत चुकी थीं। लेकिन 2017 में, जब वह सुषील कुमार अकादमी, नजफगढ़ में प्रशिक्षण कर रही थीं, एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी। गर्दन पर गंभीर चोट लगने से उनकी रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा और वह व्हीलचेयर पर रहने को मजबूर हो गईं।


हालांकि, इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति के बावजूद कशिश ने हार नहीं मानी। उनके परिवार, कोच और फिजियोथेरेपिस्ट ने उन्हें संभाला और प्रेरित किया कि वह क्लब थ्रो में अपना करियर बनाएं। कशिश ने इस मार्ग पर चलते हुए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई गोल्ड और सिल्वर पदक जीते।


2019 में स्विट्जरलैंड में आयोजित नॉटविल वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स जूनियर चैंपियनशिप में कशिश ने गोल्ड मेडल जीता और अपनी काबिलियत को सिद्ध किया। इसके अलावा, दुबई में सीनियर पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने पांचवां स्थान प्राप्त कर अपने आत्मविश्वास को और मजबूत किया।


Kashish lakra sports का सपना है कि वह टोक्यो पैरालंपिक में देश के लिए पदक जीते। इसके लिए वह हर दिन जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में कड़ी मेहनत करती हैं, जो उनके घर से 40 किलोमीटर दूर है। उनके परिवार का अटूट सहयोग, कोच की मार्गदर्शन, और स्कूल की सहानुभूति ने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुंचाया है।

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Kashish lakra, कोटा की एक लड़की है जिसने JEE Advanced 2023 की परीक्षा पास की है। कशिश ने इस परीक्षा में कैटेगरी रैंक 1216 हासिल की है। जेईई-मेन में उसकी कैटेगरी रैंक 5557 थी। कशिश की सफलता से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। कशिश अपने परिवार की पहली आईआईटीयन बनी है।


कशिश लाकड़ा की यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, अगर आपके पास साहस, समर्पण और समर्थन हो, तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। कशिश वास्तव में एक प्रेरणा हैं, और हम सभी उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।


कशिश की कहानी कुछ खास बातों में खास है:

  1. कशिश ने तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए खुद को साबित किया।
  2. कशिश ने अपने पिता के ट्रांसफ़र की वजह से 10 स्कूल तक बदले, लेकिन उनका हौसला और जिद नहीं टूटा।
  3. कशिश ने यूपीएससी की परीक्षा को पास कर लिया।







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