Vikrant Massey Interview: विक्रांत अपने तंगहाली के दिन याद किए, और अपने भाई की तरह त्याग नहीं करना चाहते...

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Vikrant Massey बोले- फटे कपड़ों से तंग आ गया था, बड़े भाई मोइन की तरह समझौता नहीं करना चाहता था।


Vikrant Massey recalled his poverty days in an interview during the promotion of his new film.

Vikrant Massey new movie The Sabarmati Report के प्रमोशन में बिजी हैं। इस बीच एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी तंगहाली के दिन याद किए। विक्रांत ने बताया कि वह अपने भाई की तरह त्याग नहीं करना चाहते थे।

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बरखा दत्त से बातचीत में Vikrant Massey बोले, 'मेरे पिता को चार लोगों का परिवार चलाने में दिक्कत आ रही थी जिसमें वह भी शामिल थे। उनके खुद के चैलेंजेज थे, उन पर जो बीती थी...पैसा, सक्सेस सब था लेकिन अचानक सब गायब हो गया। लंबी कहानी है, शॉर्ट में बताऊं तो परिवार का झगड़ा था। ये 1970 की क्लासिक कहानी थी, जॉइंट फैमिली का झगड़ा। वह उस तरह से फिर से शुरुआत नहीं कर पाए जैसे करना चाहते थे। लेकिन अपनी क्षमताभर उन्होंने सब किया जो कर सकते थे।'

Vikrant Massey Family

गरीबी से तंग आ गए थे Vikrant
Vikrant ने बताया कि वह गरीबी की जिंदगी नहीं जीना चाहते थे। वह बोले, 'मैं फटे कपड़े और जूते पहनकर थक चुका था। कपड़े इतनी बड़ी दिक्कत नहीं थे। लेकिन जब आपको दूसरे के कपड़े पहनने पड़ते हैं तो ये काफी डरावना होता है। आप कितना भी साफ कर लो लेकिन किसी और की बदबू आती रहती है।' विक्रांत ने बताया कि कई बार उनके पास जूते खरीदने के पैसे भी नहीं होते थे।


भाई ने किया समझौता
Vikrant Massey ने बताया कि जब पैसा आ गया तो लोगों का व्यवहार भी बदल गया। बोले, 'लोग मुझे अलग तरह से गुड मॉर्निंग बोलने लगे। बड़ी कार आई तो गर्मजोशी से हाथ मिलाने लगे। मैं अपने बड़े भाई की तरह समझौता नहीं करना चाहता था। उनका दिल बड़ा है लेकिन उन्होंने समझौता किया। वह बहुत कुछ करना चाहते थे लेकिन नहीं कर पाए। वह सेटल हुए, उन्होंने त्याग किया, समझौता किया और मैं ये शब्द बहुत सोच-समझकर बोल रहा हूं। मैं वैसा नहीं करना चाहता था।'

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