Thulasimathi शारीरिक विकलांगता के बावजूद कभी हार नहीं मानी। देश के लिए मेडल ले आई।

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एक हाथ से विकलांग होने के बावजूद देश के लिए मेडल ले आई।

भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी Thulasimathi Murugesan, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से विकलांगता को मात दी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।


Thulasimathi Murugesan शारीरिक विकलांगता के बावजूद कभी हार नहीं मानी। Short story in hindi.

एक गरीब परिवार से आने वाली Thulasimathi Murugesan का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। बचपन में ही उन्हें पोलियो हो गया था, जिससे उनकी एक हाथ पूरी तरह से प्रभावित हो गई। आर्थिक तंगी और शारीरिक विकलांगता के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और खेल के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का निश्चय किया।

Thulasimathi ने अपने पैरा-बैडमिंटन करियर की शुरुआत कई कठिनाइयों के बावजूद की। उन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ इस खेल में महारत हासिल की। 2024 में पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीतकर देश का नाम गर्व से ऊंचा किया। उनके इस जीत ने साबित कर दिया कि जब इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल रास्ता असंभव नहीं होता।

इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी कई पदक जीते हैं। उनकी ये उपलब्धियाँ न केवल उनके आत्म-विश्वास को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि किसी भी विकलांगता को अपने सपनों के बीच नहीं आने देना चाहिए।

Thulasimathi Murugesan का सफर हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो किसी न किसी रूप में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। उनके इस मुकाम तक पहुँचने की यात्रा ने यह साबित कर दिया कि अगर आपमें आत्मविश्वास और मेहनत करने की ताकत है, तो आप किसी भी स्थिति को अपने पक्ष में बदल सकते हैं। उनके परिवार ने भी इस सफर में उनका पूरा समर्थन किया, जिससे उन्हें इस मुकाम तक पहुँचने में मदद मिली।


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