दोनों हाथों के बिना भारत का ये बेटा Suyash Jadhav Paralympics एशिया खेल में देश के लिए गोल्ड मैडल जीतकर ले आया।
Suyash Jadhav का जन्म 28 नवंबर 1993 को महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ था। बचपन में एक दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे। लेकिन इस कठिनाई ने उनके हौसले को कम नहीं किया।
उन्होंने अपने सपनों का पीछा करने का निश्चय किया और Para-swimming में अपनी एक अलग पहचान बनाई। 2018 Asian para games में Suyash Jadhav ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
उन्होंने पुरुषों की 50 मीटर बटरफ्लाई एस 7 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता, जिससे वे इस इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तैराक बने। इसके अलावा, उन्होंने 200 मीटर इंडिविजुअल मेडल एस 7 इवेंट में भी स्वर्ण पदक जीता।
सुयश ने अपने करियर में कई अन्य पदक भी जीते हैं, जिनमें 2016 रियो पैरालंपिक में भागीदारी भी शामिल है। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और सम्मान दिलाए हैं।
Suyash Jadhav की कहानी एक प्रेरणास्रोत है जो हमें सिखाती है कि शारीरिक चुनौतियाँ किसी के सपनों को पूरा करने में बाधा नहीं बन सकतीं। उनकी मेहनत, समर्पण और अदम्य साहस ने उन्हें न केवल एक महान तैराक बनाया है बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना दिया है।

उन्होंने अपने सपनों का पीछा करने का निश्चय किया और Para-swimming में अपनी एक अलग पहचान बनाई। 2018 Asian para games में Suyash Jadhav ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
उन्होंने पुरुषों की 50 मीटर बटरफ्लाई एस 7 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता, जिससे वे इस इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तैराक बने। इसके अलावा, उन्होंने 200 मीटर इंडिविजुअल मेडल एस 7 इवेंट में भी स्वर्ण पदक जीता।
सुयश ने अपने करियर में कई अन्य पदक भी जीते हैं, जिनमें 2016 रियो पैरालंपिक में भागीदारी भी शामिल है। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और सम्मान दिलाए हैं।
Suyash Jadhav की कहानी एक प्रेरणास्रोत है जो हमें सिखाती है कि शारीरिक चुनौतियाँ किसी के सपनों को पूरा करने में बाधा नहीं बन सकतीं। उनकी मेहनत, समर्पण और अदम्य साहस ने उन्हें न केवल एक महान तैराक बनाया है बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना दिया है।

Suyash Jadhav की उपलब्धियाँ यह साबित करती हैं कि सही मेहनत और दृढ़ संकल्प से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि असली जीत वही होती है, जो हम अपने कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए हासिल करते हैं।