हम बात कर रहे हैं High Jumper Nishad Kumar की, जिन्होंने अपनी मेहनत, दृढ़ संकल्प, और कभी न हार मानने वाले जज्बे से भारतीय पैरा-एथलेटिक्स में नया इतिहास रच दिया है।
Nishad kumar का जन्म 3 अक्टूबर 1999 को हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में हुआ था। बचपन में एक दर्दनाक दुर्घटना ने उनका एक हाथ छीन लिया, लेकिन इस विपत्ति ने उनके हौसले को कम नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने इसे अपनी ताकत बना लिया और अपने सपनों को साकार करने की ठान ली।
अपने करियर की शुरुआत में ही Nishad kumar paralympics में अपनी अलग पहचान बनानी शुरू कर दी। टोक्यो पैरालिंपिक 2020 में हाई जम्प में उन्होंने 2.06 मीटर की छलांग लगाकर Nishad kumar silver medal जीता, जो कि एक एशियाई रिकॉर्ड भी था। यह उपलब्धि उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ बनी।
लेकिन उनकी जीत यहीं नहीं रुकी। 2021 में, उन्होंने दुबई में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में गोल्ड मेडल जीतकर एक और मील का पत्थर स्थापित किया। इसके साथ ही, उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और अनेक पदक जीते।
उनकी इस अद्वितीय सफलता के लिए उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा गया, जो उनके संघर्ष और मेहनत का एक शानदार प्रमाण है। Nishad kumar की कहानी सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि अगर आपमें संघर्ष करने की इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी चुनौती आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकती।
Nishad Kumar की यह यात्रा हमें सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर आपमें हिम्मत और संकल्प है, तो आप हर मुश्किल को पार कर सकते हैं। उनकी उपलब्धियाँ और उनका संघर्ष हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची जीत वह होती है, जो हम अपनी सीमाओं को पार करके हासिल करते हैं।