बेंगलुरु के रहने वाले पैरालंपिक तैराक विश्वास के.एस. ने जीवन की सभी कठिनाइयों को पार करते हुए सफलता की नई इबारत लिखी है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि चुनौतियों के बावजूद अगर खुद पर भरोसा हो, तो हर मुश्किल पार की जा सकती है। बिना हाथों के उन्होंने तैराकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है।
उनकी प्रेरणादायक यात्रा यहीं खत्म नहीं होती। बचपन में एक दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे। यह हादसा इतना बड़ा था कि उनके पिता ने उन्हें बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी। बावजूद इसके, विश्वास ने अपने जीवन को फिर से खड़ा किया। उन्होंने न केवल तैराकी में महारत हासिल की, बल्कि कुंग-फू और नृत्य जैसी अन्य विधाओं में भी खुद को साबित किया।
विश्वास कहते हैं, "मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरा नाम है, जो मेरे अंदर आत्मविश्वास और उम्मीद का प्रतीक है।" उनका मानना है कि विकलांगता शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक होती है। उनके जीवन का हर कदम यह सिखाता है कि अगर मन में विश्वास हो, तो कोई भी बाधा असंभव नहीं। उनका साहस और उपलब्धियां उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।