प्रवीण कुमार, भारत के एक प्रतिभाशाली पैरालंपिक एथलीट, ने अपने अद्वितीय प्रदर्शन से देश का नाम गर्व से ऊंचा किया है। उन्होंने न केवल 2020 ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में रजत पदक जीता, बल्कि 2022 एशियाई पैरा खेलों में भी स्वर्ण पदक अपने नाम करके अपनी चमकदार सफलता की यात्रा जारी रखी।
प्रवीण कुमार का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें असाधारण बना दिया। वह बचपन से ही एक पैर से विकलांग थे, लेकिन उन्होंने इस शारीरिक चुनौती को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा जेवर के प्रज्ञान पब्लिक स्कूल से हुई, और वर्तमान में वह मोतीलाल नेहरू कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षा और खेल दोनों में उत्कृष्टता हासिल करने का उनका जुनून उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाता है।
2020 के टोक्यो पैरालंपिक में, प्रवीण ने पुरुषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में रजत पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें भारत के सबसे प्रमुख पैरालंपिक एथलीटों में शामिल कर दिया।
23 अक्टूबर 2023 को, उन्होंने 2022 एशियाई पैरा खेलों में पुरुषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इस प्रतियोगिता में उन्होंने 2.02 मीटर की ऊंची छलांग लगाई और खेलों का रिकॉर्ड तोड़ा, जो उनके अद्वितीय कौशल और अटूट मेहनत का जीता-जागता प्रमाण है।
प्रवीण की यह यात्रा आसान नहीं रही है। उन्होंने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनके दृढ़ निश्चय और समर्पण ने उन्हें हर मुश्किल से ऊपर उठाया। उनकी सफलता में ओजीक्यू का भी योगदान है, जो उन्हें निरंतर समर्थन प्रदान करता है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
प्रवीण कुमार की कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी चुनौती के सामने झुकना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपने साहस और मेहनत से पार करना चाहिए।
उनकी उपलब्धियाँ न केवल उन्हें एक महान एथलीट बनाती हैं, बल्कि देश के लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं होता।