एक प्यारी सी सांवली लड़की लोकल ट्रेन की खिड़की पर बैठकर कहानी की किताब पढ़ रही थी।

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   एक प्यारी सी सांवली लड़की लोकल ट्रेन की खिड़की पर बैठकर कहानी की किताब पढ़ रही है, सामने वाली सीट पर खूबसूरत लड़की और उसकी माँ बैठी है। समस्या यह है की जब खिड़की से सूरज की रोशनी खूबसूरत लड़की के चेहरे पर पड़ने लगी, तो उसकी माँ मुस्कुराई और लड़की से कहा, "यहाँ चले जाओ, अगर वह सूरज तुम्हारे चेहरे पर पड़ेगा, तो तुम उसके जैसी हो जाओगी " बेशक यह व्यंग्यात्मक टिप्पणी है विपरीत खिड़की पर बैठी श्यामला लड़की की और निर्देशित किया गया था। काफ़ी देर तक मां-बेटी लड़की के सांवले रंग को देखकर हंसती रहीं।


   आखिरकार लड़की ने अपना मुँह खोला... बोली, "अगर तुम्हारे चेहरे पर धूप लग जाएगी तो तुम मेरे जैसे बन जाओगे? इतना आसान? मैं एक सरकारी कॉलेज मैं इतिहास की प्रोफेसर हूं और स्वयं सहायता के लिए एक एनजिओ मैं सक्रिय कार्यकर्ता हूं। वंचित लड़कियों की। छुट्टियों मैं सड़कों पर घूमती हूं और सड़क के कुत्तों को खाना खिलाती हूं, जब भी मैं बीमार कुत्तों को देखती हूं तो उनका इलाज करती हूं।"मेरे जैसा बनना इतना आसान नहीं है, चाचीजी...


   खामोश माँ-बेटी के सामने से गुजरी "काली" लड़की, माँ-बेटी की नजरें ऊपर उठाने की हिम्मत नहीं हो रहीं थी। उन्हें नहीं पता था की काला रंग इतना चमकीला हो सकता है, उनकी आँखे जल गईं काली लड़की के प्रखर व्यक्तित्य की तपीश।।

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