Tulsi Gowda Story
कर्नाटक के एक छोटे से गांव होन्नाली की मिट्टी में छिपा है एक ऐसा नाम, जो शायद किताबों में नहीं, पर पेड़ों की हर शाखा में गूंजता है।
यह नाम है Tulsi Gowda, जिन्हें "एन्साइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट" के नाम से जाना जाता है। एक साधारण सोलिगा जनजाति की महिला, जिनके पास कभी स्कूल जाने का मौका नहीं मिला, लेकिन जंगल की हर नस-नस का गहन ज्ञान उनके भीतर समाया हुआ है।
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Tulsi Gowda ने अपने जीवन में 30,000 से अधिक पेड़ लगाए और उनकी देखभाल की, जैसे एक माँ अपने बच्चों की करती है।
पेड़ों से उनका यह अनमोल रिश्ता उन्हें इस धरती पर सबसे खास बनाता है। उनकी कड़ी मेहनत और प्रकृति के प्रति उनके अथाह प्रेम ने उन्हें वह सम्मान दिलाया, जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
2021 में, Tulsi Gowda को भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान, पद्म श्री से नवाजा गया। यह पुरस्कार न केवल उनके योगदान को मान्यता देता है, बल्कि उनकी जीवन यात्रा की प्रेरणा को भी सलाम करता है।
एक ऐसी यात्रा जो हमें सिखाती है कि ज्ञान और समर्पण किसी औपचारिक शिक्षा के मोहताज नहीं होते। तुलसी गौड़ा का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें प्रकृति से प्यार करना सिखाती है।