रात के 1:30 बजे अचानक फोन की घंटी बज उठी। आदित्य नींद से जागकर फोन उठाता है। फोन के दूसरी तरफ से उसकी माँ, सविता, की चहकती हुई आवाज आती है, “जन्मदिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद, मेरे लाल! भगवान तुम्हारी झोली खुशियों से भर दे, और तुम्हारे हिस्से का सारा गम मुझे दे दे।”
आदित्य गुस्से में झल्ला उठता है। नींद में खलल पड़ने पर वह कहता है, “माँ, सुबह फोन नहीं कर सकती थी? इतनी रात को फोन करके नींद खराब क्यों की?” यह कहकर उसने फोन पटक दिया और वापस सोने की कोशिश करने लगा।
कुछ ही मिनटों के बाद उसके पिता, विनय, का फोन आया। आदित्य ने पिता पर गुस्सा करने के बजाय नरमी से कहा, “पिताजी, सुबह फोन करते तो ज्यादा अच्छा होता। इतनी रात को फोन करने की क्या जरूरत थी?”
पिता ने भारी आवाज में जवाब दिया, “बेटा, मैंने तुम्हें इसलिए फोन किया क्योंकि तुम्हारी माँ बहुत बड़ी पागल है। मैंने उसे मना किया था, लेकिन वह मानी ही नहीं। उसे तुम्हें रात के 1:30 बजे ही फोन करना था। वह आज से 25 साल पहले ही पागल हो गई थी, जब डॉक्टर ने उसे ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी। जानते हुए भी कि उसकी जान को खतरा हो सकता है, उसने ऑपरेशन से इनकार कर दिया। उसे अपनी जान की परवाह नहीं थी, बस तुम्हारा जन्म सही सलामत हो जाए, यही उसकी इच्छा थी।"
आदित्य का दिल धड़क उठा। पिता की बात सुनकर वह पूरी तरह शांत हो गया। उसके पिता ने आगे कहा, “तुम्हारे जन्म से पहले, शाम 5 बजे से लेकर रात 1:30 बजे तक, तुम्हारी माँ प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। डॉक्टर ने मुझसे भी हस्ताक्षर करवाए थे कि अगर कुछ हो जाए, तो वे जिम्मेदार नहीं होंगे। लेकिन जैसे ही तुम 1:30 बजे पैदा हुए, तुम्हारी माँ की सारी पीड़ा खत्म हो गई। उसके चेहरे पर इतनी बड़ी मुस्कान थी, मानो उसे सबसे बड़ी खुशी मिल गई हो।
पिछले 25 साल से तुम्हारी माँ हर साल इस वक्त जागती है, तुम्हारे जन्म के समय को याद करती है, और मुझे भी जगाती है। मुझे कहती है, ‘देखो, हमारे बेटे का जन्म इसी वक्त हुआ था।’ लेकिन तुम... आज एक बार फोन किया और तुम्हें नींद खराब लगने लगी।"
पिता ने फोन काट दिया। आदित्य सुन्न रह गया, उसकी आंखों में अब आंसू भर आए थे। वह पूरी रात करवटें बदलता रहा, दिल में पछतावा और गिल्ट का बवंडर उमड़ रहा था। सुबह होते ही आदित्य बिना कुछ सोचे-समझे अपने माता-पिता के घर पहुंचा। माँ सविता को देखते ही उसने उनके पैर पकड़ लिए और फफक-फफक कर रो पड़ा, “माँ, मुझे माफ कर दो। मैं कितना स्वार्थी हो गया था।”
माँ ने उसे झुककर उठा लिया और अपने सीने से लगा लिया। उनकी आंखों से भी आंसू झरने लगे, लेकिन आवाज में वही प्यार था। “देखो जी, मेरा लाल वापस आ गया। इसे मैं कैसे नाराज रख सकती हूँ।”
फिर आदित्य अपने पिता विनय के पास गया और उनसे भी माफी मांगी। पिता की आंखों में गहराई थी, उन्होंने शांत स्वर में कहा, “बेटा, तुम्हारी माँ हमेशा कहती थी कि हमारे बेटे को हमारी चिंता है। लेकिन अब मुझे पता है, तुम्हें अपनी जिंदगी में बहुत कुछ करना है, इसलिए तुम वापस अपनी दुनिया में लौट जाओ। मैं तुम्हारी माँ का ख्याल रखूंगा। अब मुझे उससे यह कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी कि वह चिंतित न हो। मैं उसके लिए हमेशा खड़ा रहूंगा, जैसे पहले था।”
आदित्य की आंखों से आँसू बहते रहे। माँ ने प्यार से बेटे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “अब माफ कर दो जी... हमारा लाड़ला है, इससे नाराज रहना ठीक नहीं।”
यह बात पूरी सच्चाई के साथ याद दिलाती है कि दुनिया में केवल एक माँ ही है, जो चाहे जितना भी बुरा बर्ताव सह ले, लेकिन हमेशा अपने बच्चों से सिर्फ और सिर्फ प्यार करती है।
पिता भी अपने बच्चों के लिए एक सख्त पर ढाल की तरह होते हैं, जो उन्हें बिगड़ने से रोकते हैं।