चंद्रो तोमर, जिन्हें प्यार से "शूटर दादी" के नाम से जाना जाता है, भारतीय निशानेबाजी की दुनिया का एक प्रेरणादायक नाम हैं। उनका जन्म (10 जनवरी 1932) उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जोहड़ी गांव में हुआ था। 60 साल की उम्र में चंद्रो ने एक असाधारण कामयाबी हासिल की, जब उन्होंने निशानेबाजी शुरू की। इस उम्र में जहां लोग आमतौर पर अपने काम से संन्यास ले लेते हैं, वहीं चंद्रो ने एक नई दिशा में कदम रखा और साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है।
चंद्रो तोमर की यात्रा तब शुरू हुई जब वह अपनी पोती के साथ शूटिंग रेंज में गईं। वहां उन्होंने पहली बार बंदूक उठाई और जब निशाना साधा, तो उनका शॉट बिल्कुल सटीक था। इस घटना के बाद उन्हें प्रोत्साहन मिला और उन्होंने निशानेबाजी की ट्रेनिंग शुरू की। धीरे-धीरे वे इस खेल में पारंगत हो गईं और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर इतिहास रचा।
चंद्रो ने देश के लिए कई पदक जीते और अपने गांव की अन्य महिलाओं और लड़कियों को भी इस खेल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उनकी जीवन यात्रा पर आधारित फिल्म "सांड की आंख" भी बनाई गई, जिसमें अभिनेत्री तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने चंद्रो और उनकी साथी शूटर प्रकाशी तोमर की भूमिकाएं निभाईं।
चंद्रो तोमर का जीवन संघर्ष, साहस और संकल्प की एक बेहतरीन मिसाल है। उन्होंने न केवल अपनी उम्र को चुनौती दी, बल्कि समाज की परंपरागत धारणाओं को भी तोड़ा और साबित किया कि कुछ भी असंभव नहीं है, चाहे आपकी उम्र जो भी हो।
FAQ's
चंद्र तोमर कौन है?
चंद्रो तोमर (10 जनवरी 1932 - 30 अप्रैल 2021) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जोहरी गाँव की एक अस्सी वर्षीय भारतीय शार्पशूटर थीं।
चंद्रो तोमर के कितने बच्चे थे?
चंद्रो तोमर के पाँच बच्चे और बारह नाती-नातिन हैं। उन्होंने संयोग से शूटिंग सीखना शुरू किया, जब उनकी पोती शेफाली ने जोहरी राइफल क्लब में शूटिंग सीखना चाहा।
तोमर कौन सी कैटेगरी है?
तोमर अथवा तंवर एक क्षत्रिय वंश है जो चंद्रवंशी क्षत्रिय कहे जाते हैं एवं पांडुवंशीय हैं जिनके मामा श्रीकृष्ण हैं।