Devi Chitralekha ji एक प्रसिद्ध भारतीय कथा वाचिका और भजन गायिका हैं।
उनका जन्म 19 जनवरी 1997 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने भक्ति और अध्यात्म में गहरी रुचि दिखाई। महज 4 साल की उम्र से ही उन्होंने भजन और कथाएं सुनाना शुरू कर दिया था। उनके परिवार ने उनकी भक्ति के प्रति इस गहरे लगाव को समझा और उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। देवी चित्रलेखा ने अपने सत्संगों और प्रवचनों के माध्यम से लाखों लोगों को भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की भक्ति से जोड़ा है।
भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की भक्ति भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। श्रीकृष्ण, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, प्रेम, दया, और करुणा के प्रतीक हैं। उनकी बाल लीलाएं, रासलीला, और गीता के उपदेश मानव जीवन के हर पहलू को गहराई से समझाते हैं। राधा जी के साथ उनकी प्रेम कहानी भक्ति और समर्पण की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति मानी जाती है।
राधा जी और श्रीकृष्ण का प्रेम संसारिक प्रेम से परे, आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। राधा जी की भक्ति श्रीकृष्ण के प्रति अद्वितीय और नि:स्वार्थ है। वे प्रेम की पराकाष्ठा का प्रतीक हैं, जहां प्रेम का अर्थ केवल अपने प्रिय के सुख में सुखी होना है। राधा और कृष्ण जी का प्रेम भक्तों के लिए भक्ति योग और आत्मा की परमात्मा के साथ एकात्मता का मार्ग है।
Devi Chitralekha अपने प्रवचनों और भजनों में भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की भक्ति की महिमा का वर्णन करती हैं। उनकी मधुर वाणी और भक्ति से ओतप्रोत शब्द श्रोताओं के हृदय को छू जाते हैं, जिससे वे भी भगवान की भक्ति में रम जाते हैं। उनके प्रवचनों में श्रीकृष्ण की लीलाओं और राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम की कहानियों का सजीव चित्रण होता है।
श्रीकृष्ण और राधा जी की भक्ति यह सिखाती है कि प्रेम और समर्पण ही ईश्वर के साथ एकात्मता प्राप्त करने का मार्ग है। देवी चित्रलेखा जैसे भक्तों के माध्यम से, यह दिव्य भक्ति आज भी लोगों के जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करती है।