लोग कहते हैं, अवसर की कमी से प्रतिभा हार जाती है। लेकिन भारत में ऐसे कई खिलाड़ी पैदा हुए हैं, जो बिना किसी विशेषाधिकार के सफलता तक पहुंचे हैं। उनकी प्रतिभा और जुनून ने उन्हें उस मुकाम तक पहुंचाया है!
ऐसे ही एक खिलाड़ी है नीरज चोपड़ा, जिन्होंने एक बार नहीं बल्कि बार-बार अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की है।
लोग मुझे पहले से जानते थे, लेकिन ओलंपिक सबसे बड़ा मंच है। इसलिए जब मैंने टोक्यो में स्वर्ण पदक जीता, तो लोगों ने मुझे रातों-रात पहचानना शुरू कर दिया। लेकिन मुझे लगता है कि लगभग 10-11 वर्षों तक मैंने जो प्रयास किया, उसी प्रयास ने मुझे ओलिंपिक में सफल होने में मदद किया है।
यह देखकर अच्छा लगा कि लोग मुझे याद दिला रहे हैं कि मैं देश को गौरवान्वित किया है। यह सोचकर बहुत अच्छा लगता है कि मैंने देश के लिए कुछ हासिल किया है और अगर मेरे प्रयास अधिक युवाओं को प्रेरित कर सकते हैं, तो मुझे बहुत खुशी होगी।
"हमें खुद पर काम करना होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई और कितनी दूर तक भाला फेंक रहा है।"
" जब आप कड़ी मेहनत करने के बात भी थकावट महसूस नहीं करते हैं, जब आप रात को सोने जाते हैं और आपको नींद नहीं आती है; तब आप समझ जायेंगे की सफलता का एक नया इतिहास रचने वाला है।"
- नीरज चोपड़ा