Sindhutai Sapkal, जिन्हें "माई" के नाम से भी जाना जाता था, का 4 जनवरी 2022 को निधन हो गया। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
सिंधुताई का जीवन संघर्ष और सेवा की एक प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने अपने जीवन के कठिन दौर में भी हजारों अनाथ बच्चों को पाला और उन्हें बेहतर जीवन दिया।
सिंधुताई का जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में हुआ था। बचपन से ही उन्हें गरीबी और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 12 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई, लेकिन शादी के बाद उन्हें घरेलू हिंसा और अपमान का सामना करना पड़ा। गर्भवती होने के दौरान उनके पति ने उन्हें घर से निकाल दिया। इस कठिन समय में उन्होंने भीख मांगकर अपनी बेटी को पाला, लेकिन उनका जीवन यहीं नहीं रुका।
सिंधुताई ने अपने संघर्षों को अपनी ताकत बनाया और अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र में कई अनाथालय खोले और हजारों बच्चों को गोद लिया। उन्हें शिक्षित किया, उनकी देखभाल की, और समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाया। उनके इस महान कार्य के लिए उन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
आज सिंधुताई सपकाल हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए महान कार्यों की गूंज हमेशा बनी रहेगी। जिन बच्चों को उन्होंने अपनी ममता दी, आज वे फिर से अनाथ हो गए हैं। उनकी इस सेवा के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देना हमारा फर्ज है।
FAQ's
सिंधुताई सपकाल को प्यार से क्या कहा जाता था?
सपकाल ने खुद को अनाथों के लिए समर्पित कर दिया। नतीजतन, उन्हें प्यार से "माई" कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है "माँ"।
सिंधुताई सपकाल के कितने बच्चे थे?
सिंधुताई ने अपने जीवन में 1400 से अधिक बच्चों को अपनाया। सिंधुताई का परिवार बहुत बड़ा है।
सिंधुताई की मृत्यु क्यों हुई?
Sindhutai Sapkal Death लंबे समय से बीमार चल रहीं सिंधुताई का निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ।